KRISHI
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http://krishi.icar.gov.in/jspui/handle/123456789/21523
Title: | मोटे अनाजों का प्रसंस्करण |
Other Titles: | Not Available |
Authors: | ओम प्रकाश |
ICAR Data Use Licennce: | http://krishi.icar.gov.in/PDF/ICAR_Data_Use_Licence.pdf |
Author's Affiliated institute: | ICAR-Central Arid Zone Research Institute Jodhpur (Rajasthan)-342003 |
Published/ Complete Date: | 2018-08-10 |
Project Code: | Not Available |
Keywords: | मोटे अनाज, प्रसंस्करण |
Publisher: | Not Available |
Citation: | Not Available |
Series/Report no.: | Not Available; |
Abstract/Description: | मोटे अनाजों के उत्पादन में भारत हमेशा से अग्रणी रहा है. सीमित जल, शुष्क जलवायु और कम उर्वरा वाले भूमि के लिए उपयुक्त होने के कारण यह राजस्थान प्रदेश के लिए काफी महत्वपूर्ण हो जाता है. इन खूबियों के कारण यह फसल जलवायु परिवर्तन के असर को निम्न रखता है. यह साल के सभी ऋतुओं में उगाया जाने वाला फसल है. यद्यपि दूसरे प्रमुख फसल (धान और गेहूं) केवल खाद्य सुरक्षा दे सकते हैं, मोटे अनाज बहुविध सुरक्षा (खाद्य, चारा, स्वास्थ्य, पोषण, आजीविका, पारिस्थितिकी) के कारण कृषि सुरक्षा के फसल कहलाते हैं. इस प्रकार इन फसलों से किसानों को मिलने वाले विशेष लाभ निम्नांकित हैं: कम जल की जरुरत, कम परिपक्वता अवधि, उच्च उत्पादकता, उच्च ताप में उत्पादन की क्षमता, खराब मृदा में उत्पादन की क्षमता, बहुविध सुरक्षा और कीट रोधी फसल उपरोक्त सभी असामान्य गुणों व क्षमता के बावजूद भारत में मोटे अनाजों के उत्पादन-क्षेत्र में गिरावट दर्ज की गई है. आने वाले दसकों में इसका विलोपन न केवल खाद्य और खेती के लिए क्षति होगी, बल्कि सभ्यतागत और पारिस्थितिक आपदा साबित हो सकता है. इसलिए, इन फसलों के उत्पादन को अधिक लाभकारी बनाकर किसानों को सक्षम बनाना समय की मांग है. पोषक तत्व किसी भी मानक के अनुसार मोटे अनाज अन्य प्रमुख अनाजों (धान व गेहूं) की तुलना में काफी अधिक पोषक पाए गए हैं. ये प्रोटीन, खनिज (कैल्सियम, लौह) और रेशा के महत्वपूर्ण स्रोत हैं. स्वास्थ्य लाभ मधुमेह रोधी सुरक्षा, हानिकारक रक्तवसा का निम्न स्त्तर, रक्त दाब में कमी, स्तन में कर्क रोग से बचाव, श्वसन समबन्धी अवस्था (अस्थमा) का उपचार, कब्ज और सूजन का विलोपन, ग्लूटेन मुक्त अनाज और शरीर का विषहरण ये मोटे अनाज हैं: बाजरा, रागी, फॉक्सटेल मिलेट, लिटिल मिलेट, बार्नयार्ड मिलेट, प्रोसो मिलेट और कोदो मिलेट यद्यपि मोटे अनाजों के विभिन्न उत्पाद पारम्परिक तरीके से घरो में बनाये जाते रहे हैं, तथापि इनके व्यावसायिक उत्पादों की कमी परिलक्षित है. कुछ पारम्परिक उत्पाद इस प्रकार हैं: रागी दलिया (पॉरिज), बाजरा माल्ट, सोरगम मुरुक्कु, बाजरा कोलुक़त्तई, लिटिल मिलेट का पायसम , बार्नयार्ड मिलेट का पिट्टू, फॉक्सटेल मिलेट केसरी, कोदो मिलेट हलवा, रागी बिस्कुट रागी ढोकला, रागी चकली, रागी पापड और रागी आटा बड़े बाजार की तलाश में अभी कुछ उत्पाद स्थानीय स्त्तर पर उपलब्ध हैं: लिटिल मिलेट मैक्रोनी, कोदो मिलेट नूडल्स, बार्न यार्ड मिलेट वर्मिसेली, सोरगम ब्रेड, रागी केक, कोदो मिलेट कुकीज़, सोरगम फ्लेक्स, बाजरा फ्लेक्स और रागी फ्लेक्स जबकि कुछ व्यावसायिक उत्पाद बड़े स्त्तर पर भी उपलब्ध हैं: बाजरे का आटा, रागी माल्ट, कम्बु नूडल्स, मिलेट ड्रिंक, ऑर्गनिक मिलेट ब्रेड, न्यूट्री चॉइस रागी बिस्कुट, निम्न ग्लाइसेमिक कुकीज़, व्हिस्की, मिलेट माल्ट, मिलेट राइस,पॉर्रिज फ्लेक्स, मिलेट फ्लेक्स और मिलेट कुकीज़. इसी क्रम में व्यावसायीकरण के लिए उपलब्ध मोटे अनाज का एक उच्च पोषक मान वाला उत्पाद है: रागी युक्त नाश्ते का धान्य, जिसे बहिर्वेधन विधि द्वारा बनाया गया है. बहिर्वेधन खाद्य प्रसंस्करण की वह तकनीक है, जिसमे इसकी विभिन्न इकाइयाँ जैसे कच्चे खाद्य सामग्री के मिश्रण बनाने, गूंथने, पकाने व अभीष्ट आकार में बनाने की क्रिया को सम्मिलित किया गया है. खाद्य बहिर्वेधन उच्च ताप पर सीमित समय के साथ पाक प्रसंस्करण की एक विधि है. इसमें कच्चे खाद्य पदार्थों (अनाज के चूर्ण) के मिश्रण को दबाव से विशेष क्षिद्र द्वारा गुजारने के बाद विशिष्ट माप में पत्तियों द्वारा काटा जाता है. विभिन्न सर्वेक्षणों से विगत वर्षों में लोगों के खान-पान की आदतों में बदलाव का पता चला है. खाने के लिए तैयार नाश्ते के रूप में प्रसंस्कृत अनाजों (चकत्तीकृत, फुले हुए व बहिर्वेधित उत्पाद) की मांग में तीव्र वृद्धि दर्ज की गई है. प्रसंस्कृत अनाजों से नाश्ते के लिए तैयार यह खाद्य उत्पाद प्रायः दिन के पहले आहार के रूप में खाया जाता है. यह सामान्यतया ठन्डे रूप में दूध, रस, पानी या दही में फल (वैकल्पिक) के साथ अथवा सूखे भी खाये जाते हैं. नाश्ते के इन उत्पादों को बनाने के लिए बहिर्वेधन प्रक्रिया को अपनाया जाता है. उच्च उत्पादकता और पोषण धारण करने के साथ प्रसंस्करण प्रक्रिया की निरन्तरता के कारण बहिर्वेधन तकनीक को अपेक्षाकृत अधिक पसंद किया जाता है. इस प्रक्रिया के दौरान खाद्य अवयवों के क्रियाशील गुण संशोधित हो जाते हैं पोषण रोधी व विषाक्त पदार्थों, अवांछनीय एन्ज़ाइम, सूक्ष्म जीव व अन्य खाद्य जनित कीटों को भी बहिर्वेधन नष्ट अथवा निष्क्रिय कर देता है. बहिर्वेधन प्रसंस्करण में विशिष्ट नमी की मात्रा के साथ कच्चे खाद्य अवयवों के चूर्ण का प्रयोग किया जाता है. रागी युक्त नाश्ते के धान्य को मक्का, रागी और गाजर चूर्ण के मिश्रण से बनाया गया है. इस उत्पाद में 9.6% प्रोटीन, 3.4% रेशा, 2 मिलिग्राम/ 100 ग्राम बीटा कैरोटीन तथा 3 मिलीग्राम/ 100 ग्राम कैल्सियम है. बाजार में उपलब्ध समान उत्पादों की तुलना में निम्न ग्लाइसेमिक सूचकांक के कारण इस उपाद को मधुमेह रोधी पाया गया. यह उत्पाद कुपोषण से लड़ने में सहायक, कुरकुरा, हल्का, स्वादिस्ट (दूध के साथ अथवा रहित) तथा कृत्रिम रंग व गंध से मुक्त है. इस तरह यह खाने के लिए तैयार स्वादिष्ट, पौष्टिक और तुलनीय मूल्य पर उपलब्ध बेहतर उत्पाद है. प्रारम्भ में इस उत्पाद का व्यवसाय छोटे-2 पढ़ने वाले बच्चों को ध्यान में रखकर शुरू किया जा सकता है. इसके लिए 30 लाख रुपये तक की लागत के साथ 1.5 साल की लागत वापसी अवधि अनुमानित है. |
Description: | Not Available |
ISSN: | Not Available |
Type(s) of content: | Training Manual |
Sponsors: | Not Available |
Language: | Hindi |
Name of Journal: | Not Available |
Volume No.: | Not Available |
Page Number: | Not Available |
Name of the Division/Regional Station: | Agricultural Engineering and Renewable Energy |
Source, DOI or any other URL: | Not Available |
URI: | http://krishi.icar.gov.in/jspui/handle/123456789/21523 |
Appears in Collections: | NRM-CAZRI-Publication |
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