KRISHI
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http://krishi.icar.gov.in/jspui/handle/123456789/81922
Title: | उत्तर परदेश में जायद मक्का एक बेहतर विकल्प |
Authors: | शंकर लाल जाट भूपेंद्र कुमार सुजय रक्षित |
ICAR Data Use Licennce: | http://krishi.icar.gov.in/PDF/ICAR_Data_Use_Licence.pdf |
Author's Affiliated institute: | ICAR::Indian Institute of Maize Research |
Published/ Complete Date: | 2023-02-01 |
Keywords: | Not Available |
Publisher: | FAARD SAMVAAD |
Citation: | शंकर लाल जाट, भूपेंद्र कुमार, एवं सुजय रक्षित 1. 2023 उत्तर परदेश में जायद मक्का एक बेहतर विकल्प. फार्ड सम्वाद. 5(1): 5-6. |
Abstract/Description: | भारत में मक्का (ज़िया मेज़ एल.) चावल और गेहूँ के बाद तीसरी सबसे महत्वपूर्ण फसल है l जिसका क्षेत्रफल लगभग 10.0 मिलियन हेक्टेयर और उत्पादन लगभग 34 मिलियन टन है l मक्का वर्ष भर उगाई जाने वाली फसल है l उत्तर भारत में मुख्यत: खरीफ के दौरान उगाई जाती है, जो खरीफ सीजन के दौरान चावल की खेती में विविधता लाने की क्षमता रखता है l रबी सीजन के दौरान गेहूँ/सरसों की खेती में विविधता लाने का एक विकल्प हो सकता है। मक्का एक लाभकारी फसल है, क्योंकि इसको खाद्य, चारा व औद्योगिक फसल के रूप में लिया जा सकता है l मक्का में चावल से एक तिहाई और गन्ने से एक चौथाई से भी कम पानी की आवश्यकता होती है, जिसकी फसल अवधि (100-110 दिन) चावल (120 दिन) और गन्ना (~300 दिन) से कम होती है। एक किलो चावल के उत्पादन के लिए 3000-5000 लीटर पानी के मुकाबले एक किलोग्राम मक्के के दाने के लिए 800-1000 लीटर पानी की आवश्यकता होती है। मक्का फसल अवशेष चावल की तुलना में अधिक नत्रजन (कम कार्बन:नत्रजन) होने से कारण जल्दी अपघटन होता है l इस प्रकार मिट्टी में जैविक कार्बन बढ़ाने और मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करने की क्षमता होती है। मक्का, विशेष रूप से विशेष मकई (बेबी कॉर्न, स्वीट कॉर्न) को प्रभावी रूप से जैविक प्रणाली के तहत एकल फसल या अन्य सब्जियों के साथ अंतर-फसल के रूप में अर्ध-शहरी कृषि में उगाया जा सकता है, जिससे किसानों को अतिरिक्त आय का अवसर मिलता है। मक्का-गेहूँ प्रणाली में धान-गेहूँ प्रणाली की तुलना में उच्च प्रणाली उत्पादकता है, क्योंकि गेहूँ की फसल की जल्दी बुवाई के कारण अवसान ऊष्मागतिक ताप से बचा जा सकता है। मशीनीकरण और उभरने के बाद बेहतर शाकनाशियों के प्रबंधन ने हाल के दिनों में मक्का की खेती को बहुत आसान बना दिया है। |
Description: | Not Available |
Type(s) of content: | Article |
Sponsors: | Not Available |
Language: | Hindi |
Name of Journal: | Not Available |
Journal Type: | Not Available |
NAAS Rating: | Not Available |
Impact Factor: | Not Available |
Volume No.: | 5 (1) |
Page Number: | 5-6 |
Name of the Division/Regional Station: | Crop Science |
Source, DOI or any other URL: | http://faard.org/technology-transfer-communication/ |
URI: | http://krishi.icar.gov.in/jspui/handle/123456789/81922 |
Appears in Collections: | CS-IIMR-Publication |
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