KRISHI
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http://krishi.icar.gov.in/jspui/handle/123456789/17976
Title: | शुष्क क्षेत्र में बेर की जैविक खेती |
Other Titles: | Not Available |
Authors: | दीपक कुमार सरोलिया, रामकेश मीना एवं हरिदयाल चौधरी* |
ICAR Data Use Licennce: | http://krishi.icar.gov.in/PDF/ICAR_Data_Use_Licence.pdf |
Author's Affiliated institute: | भा.कृ.अनुप- शुष्क बागवानी संस्थान बीछवाल, बीकानेर *विषय विशेषज्ञ, कृषि विज्ञान केंद्र, गुडामलानी, बाड़मेर |
Published/ Complete Date: | 2018-03-01 |
Project Code: | Not Available |
Keywords: | परिरक्षित पदार्थ शुष्क क्षेत्र में बहुतायत से खट्टे-मीठे अत्यन्त प्राचीन, पोषक, औषधीय |
Publisher: | भा.कृ.अनुप- शुष्क बागवानी संस्थान बीछवाल, बीकानेर |
Citation: | Not Available |
Series/Report no.: | Not Available; |
Abstract/Description: | बेर रेमनेसी कुल का ग्रीष्म पतझड़ी एवं बहुउपयोगी फल वृक्ष है पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते है। बेर विटामिन, प्रोटीन एवं खनिज लवणों से पूर्ण होने के कारण इसे गरीबो की मेवा भी कहा जाता है। इसको शुष्क क्षेत्रो में सेब का पर्याय भी माना जाता है। अधिक तापमान और शुष्क जलवायु को सहन करने की क्षमता के कारण बेर पर्वतीय क्षेत्रों के अतिरिक्त पूरे भारतवर्ष में सफलतापूर्वक उगाया जाता है। वर्तमान में भारत में बेर की खेती 49,000 हैक्टेयर क्षेत्रफल में की जाती है तथा इसका वार्षिक उत्पादन 481000 टन है। इसका उत्पादन भारतवर्ष के विभिन्न हिस्सों में किया जाता है, राजस्थान में बेर का कुल क्षेत्रफल 538.4 हैक्टर एवं उत्पादन 5248 मैट्रिक टन हैं। बेर के फलों को ताजा एवं परिरक्षित पदार्थ के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसके फलों से शर्बत, जैम, मुरब्बा, कैण्डी, सूखे बेर इत्यादि परिरक्षित पदार्थ बनाये जा सकते हैं। शुष्क क्षेत्र में बहुतायत से पाये जाने वाले देशी बेर, जिसे ‘बोरड़ी’ के नाम से जाना जाता है, के खट्टे-मीठे फलों को सुखाकर प्रयोग करने की परम्परा अत्यन्त प्राचीन एवं लाभदायक है। पोषक फल देने के अतिरिक्त बेर के विभिन्न भाग औषधीय उपयोग के लिए प्रयुक्त होते हैं। फल सेवन करने से रक्त साफ होता है और पाचन क्रिया ठीक रहती है। कच्चे फलों के प्रयोग से कफ बढ़ता है जबकि पका हुआ फल शीतल, पचनीय और शक्तिवर्धक आहार माना गया है। अतिसार में इसकी छाल को दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। बेर की पत्तियों में 5.6 प्रतिशत पाच्य प्रोटीन और 49.7 प्रतिशत कुल पाच्य पोषक तत्व पाया जाता है। बेर के फलों का प्रयोग ताजे फलों के रूप में सुखाकर छुआरों के रूप में, शर्बत, जैम, मुरब्बा, केण्डी, चटनी एवं अचार बनाकर किया जाता है। इसके अतिरिक्त बेर के पौधे का लाख के कीड़ों को पालने में और इसके पत्तों का प्रयोग पशुओं के चारे के रूप में किया जाता है। इसकी लकड़ी जलाने के उपयोग में भी ली जाता है। |
Description: | Not Available |
ISSN: | Not Available |
Type(s) of content: | Book chapter |
Sponsors: | Not Available |
Language: | Hindi |
Name of Journal: | Not Available |
Volume No.: | Not Available |
Page Number: | 128-133 |
Name of the Division/Regional Station: | फसलोपरान्त तकनीकी विभाग |
Source, DOI or any other URL: | Not Available |
URI: | http://krishi.icar.gov.in/jspui/handle/123456789/17976 |
Appears in Collections: | HS-CIAH-Publication |
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