KRISHI
ICAR RESEARCH DATA REPOSITORY FOR KNOWLEDGE MANAGEMENT
(An Institutional Publication and Data Inventory Repository)
"Not Available": Please do not remove the default option "Not Available" for the fields where metadata information is not available
"1001-01-01": Date not available or not applicable for filling metadata infromation
"1001-01-01": Date not available or not applicable for filling metadata infromation
Please use this identifier to cite or link to this item:
http://krishi.icar.gov.in/jspui/handle/123456789/5039
Title: | प्रजनन सांड़ों में लंगड़ेपन (लेमनैस) का वीर्य की गुणवत्ता पर प्रभाव |
Other Titles: | Not Available |
Authors: | नेमी चन्द, अजयवीर सिंह सिरोही, श्रीकांत त्यागी एवं अंकुर शर्मा |
Published/ Complete Date: | 2016-12 |
Project Code: | IXX04334 |
Keywords: | वीर्य, गुणवत्ता, फ्रीजवाल सांड़, लंगडापन |
Publisher: | Agricultural Research Communication Centre |
Citation: | नेमी चन्द, अजयवीर सिंह सिरोही, श्रीकांत त्यागी एवं अंकुर शर्मा(2016)प्रजनन सांड़ों में लंगड़ेपन (लेमनैस) का वीर्य की गुणवत्ता पर प्रभाव भारतीय कृषि अनुसन्धान पत्रिका 31(4):281-84 |
Series/Report no.: | Not Available; |
Abstract/Description: | प्रस्तुत अध्ययन शंकर नस्ल के फ्रीजवाल सांड़ों में भा. कृ. अनु. प.- केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान में स्थित एक संगठित सांड़ पालन इकाई में किया गयाl प्राकृतिक रूप से लंगड़ेपन से ग्रसित १६ सांड़ों का अध्ययन के लिए चयन किया गयाl सांड़ों में लंगड़ेपन का निदान रोग के लक्षण एवं पशु के पैरों व खुरों की जाँच के आधार पर किया गयाl लंगड़ेपन से ग्रसित सांड़ों का इलाज प्रति जैविक दवाएँ जैसे स्ट्रेपटो- पेन्सिल्लिंन @ १० मि. ग्रा. प्रति कि. ग्रा. शरीर भार अंत: पेशीय विधि से दिन में दो बार, दर्द निवारक दवा, मेलोक्सिकेम@ ०.५ मि. ग्रा. प्रति कि. ग्रा. शरीर भार अंत: पेशीय विधि से दिन में एक बार से तीन दिन तक किया गयाl लंगड़ेपन से ग्रसित सांड़ों से वीर्य के नमूने हफ्ते में दो बार क्रत्रिम योनि विधि द्वारा एकत्रित किए गयेl वीर्य के नमूनों की जाँच आयतन, शुक्राणु सांद्रता, प्रारंभिक गति शीलता, पोस्ट-था गति शीलता के लिए उपयुक्त विधियों द्वारा की गयीl लंगड़ापन उत्पन्न होने के एक महीने बाद तक सांड़ों में वीर्य का आयतन सांखिकीय तौर से स्वस्थ सांड़ों की तुलना में कम पाया गया (p<0.05) जो कि उपचार के बाद दूसरे महीने में तकरीबन सामान्य हो गयाl वीर्य में शुक्राणुओं की सांद्रता एवं प्रारंभिक गतिशीलता स्वस्थ सांड़ों से काफ़ी कम पाई गयीl उपचार के दो हफ्ते के बाद से शुक्राणु सांद्रता एवं गतिशीलता में बहुत सुधार हुआ एवं दो महीने बाद यह मापदंड सामान्य स्तर के करीब आ गयेl लंगड़ेपन से ग्रसित एवं स्वस्थ सांड़ों के वीर्य की पोस्ट-था गति शीलता में सांखिकीय(p<0.05) तौर से कोई अंतर नहीं देखा गयाl सांड़ों में लंगड़ापन उत्पन्न होने के प्रथम १५ दिनों में पतले एवं मध्यम संगति के स्खलनों का प्रतिशत बढ़ा हुआ पाया गया एवं गाढ़े स्खलनों का प्रतिशत कम पाया गयाl उपचार के दो हफ्ते बाद वीर्य की कंसिस्टेंसी सुधर कर दूसरे महीने में सामान्य हो गयीl |
Description: | Not Available |
ISSN: | Not Available |
Type(s) of content: | Research Paper |
Sponsors: | ICAR |
Language: | Hindi |
Name of Journal: | भारतीय कृषि अनुसन्धान पत्रिका |
Volume No.: | 31(4) |
Page Number: | 281-284 |
Name of the Division/Regional Station: | Semen Freezing Laboratory |
Source, DOI or any other URL: | Not Available |
URI: | http://krishi.icar.gov.in/jspui/handle/123456789/5039 |
Appears in Collections: | AS-CIRC-Publication |
Files in This Item:
File | Description | Size | Format | |
---|---|---|---|---|
LamenessBKAP article.pdf | 1.15 MB | Adobe PDF | View/Open |
Items in KRISHI are protected by copyright, with all rights reserved, unless otherwise indicated.