बायोडाइनेमिक खेती फसल उत्पादन के संदर्भ में एक परिचय
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Title |
बायोडाइनेमिक खेती फसल उत्पादन के संदर्भ में एक परिचय
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Creator |
दीपक सरोलिया, रामकेश मीना एवं पी. एल. सरोज
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Subject |
तंत्र में उर्जा की चक्रीय ग्रहता लौकिक , पृथ्वी , गाय तथा पादपो
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Description |
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बायोडाइनेमिक ( जीव गतिकी) एक ग्रीक के शब्द बायोस मतलब- जीवन व बायोडाइनेमिक- उर्जा से है इस तंत्र में उर्जा की चक्रीय ग्रहता लौकिक , पृथ्वी , गाय तथा पादपो के मध्य रहती है इस पद्धति के सिधांत में यह मानना है की वर्ष के कुछ विशेष समय में लौकिक प्रभाव ( ग्रह, राशि, नक्षत्र) पौधे के विभिन्न भागो ( जड़, प्ररोह) को सबल देकर उसे पुष्ट बनाता है यहाँ पौधे के चार भाग ( जड़, पत्ती, पुष्प, फल ) तथा प्रकृति के चार तत्व ( पृथ्वी, पानी, आग, व हवा) के मध्य सम्बन्ध स्थापित करना होता है आकाशीय बल जैसे चन्द्रमा की कलाये पृथ्वी व जल पर प्रभाव डालती है जैसे शुक्ल पक्ष में लोकिक बल पृथ्वी की भू सतह के ऊपर की और ( आकाश उर्जा बल सक्रियता ) होने से निम्न क्रियाकलाप कृषि सम्बंधित हितकर होते है जैसे खेत की तैयारी , बुवाई , खाद व उर्वरक डालना, पौध स्थान्तरण , जड़ फसलो की खुदाई आदि, वही कृष्ण पक्ष के समय लौकिक बल पृथ्वी सतह से निचे सक्रिय रहता है ( पृथ्वी बल ) अत: इस समय प्रवर्धन, बीज बुवाई, कृषि रसायनो का छिडकाव आदि क्रियाकलाप ठीक रहते है भारत सरकार |
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Date |
2019-04-06T10:25:34Z
2019-04-06T10:25:34Z 2019-03-01 |
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Type |
Book chapter
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Identifier |
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Not Available http://krishi.icar.gov.in/jspui/handle/123456789/17972 |
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Language |
Hindi
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Relation |
Not Available;
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Publisher |
केन्द्रीय शुष्क बागवानी संस्थान, बीकानेर
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