गुणवत्तायुक्त बीज उत्पादन के लिए लवणीय एवं क्षारीय भूमि में सुधार की तकनीकियाँ
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Title |
गुणवत्तायुक्त बीज उत्पादन के लिए लवणीय एवं क्षारीय भूमि में सुधार की तकनीकियाँ
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Creator |
अनिता मीणा, रम्याश्री देवी जि एस, माधुरी मीणा, नीतू मीणा
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Subject |
गुणवत्तायुक्त बीज उत्पादन, लवणीय एवं क्षारीय भूमि, सुधार तकनीकियाँ,
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Description |
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भूमि लवणता एवं क्षारीयता विश्व की एक प्रमुख समस्या है । खाद्य एवं कृषि संगठन (एफ.ए.ओ 2017) के अनुसार दुनिया भर में लगभग 800 मिलियन हैक्टर कृषि भूमि लवणीयता एवं क्षारीयता से प्रभावित है, जिसमें से करीब 7 मिलियन हैक्टर प्रभावित भूमि अकेले भारत में है। भारत में लवणीय भूमि का लगभग 40 प्रतिशत भाग प्रमुख रूप से उत्तर प्रदेश बिहार, हरियाणा,पंजाब तथा राजस्थान राज्यों में फैला हुआ है। लवणीय भूमि को कृषि योग्य बनाने के लिए लगभग 27.3 बिलियन अमरीकी डॉलर सालाना खर्च किए जाते हैं। अभी तक भारत में लगभग 1.74 मिलियन हैक्टर ऊसर भूमि का ही सुधार किया गया है। इन मृदाओं की ऊपरी सतह पर सफेद लवणों की परत फैली रहती है जो कि आमतौर से जल सिंचाई के कुप्रबंधन एवं जल जमाव के कारण होती है। परिणामस्वरूप अवांछित खरपतवारों, घासों एवं हानिकारक झाड़ियों के फैलाव को बढ़ावा मिलता है। सूखने पर इन भूमियों की सतह बहुत कठोर हो जाती है जिसके कारण पौधों की जड़ों का विकास व वृद्धि ठीक से नहीं हो पाती है । लवणीय एवं क्षारीय भूमि देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी हानि है क्योंकि इससे मृदा की उत्पादकता प्रभावित होती है, जिसके फलस्वरूप लवणीय एवं क्षारीय भूमि बंजर भूमि में बदल जाती है । देश की बढ़ती आबादी को देखते हुए एवं उनकी खाद्यान आपूर्ति को पूरा करने के लिए विभिन्न तकनीकियों को अपनाकर लवणीय एवं क्षारीय भूमि में सुधार कर खेती योग्य बनाने की नितांत आवश्यकता है। Not Available |
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Date |
2020-05-15T06:14:32Z
2020-05-15T06:14:32Z 2020-02-01 |
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Type |
Article
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Identifier |
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Not Available http://krishi.icar.gov.in/jspui/handle/123456789/35646 |
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Language |
Hindi
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Relation |
Not Available;
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Publisher |
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