पोष्टिक अनाजों का पर्वतीय खेती में महत्व
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Title |
पोष्टिक अनाजों का पर्वतीय खेती में महत्व
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Creator |
महेन्द्र सिंह भिण्डा, दिनेश चन्द्र जोशी, बृज मोहन पांडेय और लक्ष्मी कान्त
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Subject |
जीवन शैली
पौष्टिक अनाजों पर्वतीय खेती |
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Description |
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आधुनिक समय में लोगों की जीवन शैली विशेष रूप से खान-पान की आदतों में बदलाव होने से गैर-संक्रामक रोगों के खिलापफ प्रतिरक्षा में गिरावट आ रही है। इसके अलावा मौजूदा खाद्य आपूर्ति का 50 प्रतिशत से अधिक तीन मुख्य खाद्य पफसलों चावल, गेहूं और मक्का द्वारा पूरा किया जा रहा है। मुख्य खाद्य पफसलों में संतुलित पोषण के लिए आवश्यक अमीनो अम्ल, विटामिन और खनिज तत्वों की कमी पाई जाती है। जलवायु में होने वाले बदलावों की वजह से मुख्य पफसलें विभिन्न प्रकार के खतरों जैसे-कीटों, रोगों, अधिक तापमान और सूखा आदि समस्याओं की चपेट में आ रही हैं। ऐसी परिस्थितियों में देश तथा दुनियाभर में पौष्टिक अनाजों का महत्व दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। पौष्टिक अनाजों में उच्च पोषण मूल्य, सूखा सहन करने की अत्यधिक क्षमता तथा बदलते जलवायु के दौर में अपने को ढालने की अपार क्षमता मौजूद है। इसके साथ ही इनमें रोग एवं कीटों की समस्या भी कम होती है। इन पफसलों की खेती वर्षाश्रित दशा में कम उपजाऊ मृदा में की जाती है। इन सब विशेषताओं के कारण पौष्टिक अनाज पफसलें जलवायु परिवर्तन के कारकों का सामना करने के लिये आकस्मिक पफसल योजना के लिए सबसे अधिक उपयुक्त मानी गई हैं। Not Available |
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Date |
2023-02-21T08:31:31Z
2023-02-21T08:31:31Z 2023-01-25 |
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Type |
Article
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Identifier |
भिण्डा, एम.एस., जोशी, डी.सी., पांडे, बी.एम. और कांत, एल. (2023). पौष्टिक अनाजों का पर्वतीय खेती में महत्व. खेती (आईसीएआर), 75(9): 48-50.
0023-1088 http://krishi.icar.gov.in/jspui/handle/123456789/76283 |
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Language |
Hindi
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Relation |
Not Available;
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Publisher |
Kheti (ICAR)
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