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फसलों में एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन एवं महत्व

KRISHI: Publication and Data Inventory Repository

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Title फसलों में एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन एवं महत्व
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Creator आशा कुमारी
महेंद्र सिंह भिण्डा
मनोज परिहार
लक्ष्मी कान्त
 
Subject जैव उर्वरक ,एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन , मृदा स्वास्थ्य
 
Description Not Available
भारत एक कृषि प्रधान देश है। कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। 1960 के बाद देश में कृषि के क्षेत्र में हरित क्रांति का उद्भव हुआ, जिससे रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग धीरे-धीरे बढ़ता गयातथा उत्पादन में आशातीत वृद्धि हुई। भारत में उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ उर्वरक खपत में भी बढ़ोतरी हुई। शुरुआत में प्रमुख पोषक तत्वों में केवल नत्रजनिक उर्वरकों का प्रयोग हुआ लेकिन धीरे-धीरे फास्फेटिकएवं पोटेशिक उर्वरकों के महत्व को समझते हुए इनका प्रयोग भी होने लगा। परन्तु अन्य आवश्यक पोषक तत्वों यथा मैग्नीशियम, सल्फर, जिंक, आयरन, कापर मैंग्नीज, मालिब्डेनम, बोरान एवं क्लोरीन की मिट्टी में कमी होती रही, फलस्वरूप इन तत्वों की पौधों को आवश्यकतानुसार उपलब्धता न होने से अधिकांश क्षेत्रों में उत्पादन में ठहराव आ गया तथा उत्पादन में कमी भी देखी गयी। इसके साथ ही मृदा के जीवांश में हो रहे लगातार ह्रास से मृदा के भौतिक, रासायनिक एवं जैविक क्रियाओं में इस प्रकार परिवर्तन हुआ कि देश की बढ़ती आबादी के सापेक्ष खाद्यान्नोत्पादन पर प्रश्नचिन्ह लग गया। मृदा में लगातार अधिक रासायनिक खादों के उपयोग करने से फसलों की उत्पादकता में गिरावट के साथ साथ मनुष्य एवं जानवरों में कई प्रकार के रोगो का प्रकोप बढ़ता जा रहाहैं तथा रासायनिक खादों से पर्यावरण पर भी दुष्प्रभाव पड़ रहा है। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए फसलों में एकीकृत पोषक तत्वों का प्रबंधन करना अति आवश्यक हो गया है तथा इसी से हम मृदा की उर्वरकता एवं फसलों की उत्पादकता को बढ़ाने के साथ ही संतुलित रख सकते है।
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Date 2021-08-03T15:28:44Z
2021-08-03T15:28:44Z
2021-08-01
 
Type Article
 
Identifier Not Available
2582-5976
http://krishi.icar.gov.in/jspui/handle/123456789/52733
 
Language Hindi
 
Relation Not Available;
 
Publisher मध्य भारत कृषक भारती