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गर्म-शुष्क पारिस्थितिकी तंत्र में भू-द्रश्यीकरण (लैंडस्केपिंग)- के.शु.बा.सं., बीकानेर की एक सफल पहल

KRISHI: Publication and Data Inventory Repository

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Title गर्म-शुष्क पारिस्थितिकी तंत्र में भू-द्रश्यीकरण (लैंडस्केपिंग)- के.शु.बा.सं., बीकानेर की एक सफल पहल
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Creator कमलेश कुमार
 
Subject भू-द्रश्यीकरण (लैंडस्केपिंग), गर्म-शुष्क पारिस्थितिकी तंत्र, अलंकारिक वनस्पतियाँ, पेड़-पौधे
 
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वह सभी प्रक्रियाएँ जो भूमि के किसी क्षेत्र विशेष की दृश्यमान विशेषताओं को कलात्मक, मनोहर एवं सुंदर बनाने का कार्य करती हैं उन्हें भू-द्रश्यीकरण के अंतर्गत माना जाता है। । भू-नियोजन भिन्न- भिन्न क्षेत्रों के लिए अलग-अलग होता है। लैंडस्केपिंग के लिए क्षेत्र अवलोकन और बहुत गहन अध्ययन की आवश्यकता होती है। अगर यह पहली बार किया जा रहा हो तो आमतौर पर स्थानीय प्राकृतिक विशेषज्ञों की सलाह ले लेनी चाहिए। भू-नियोजन करते समय विभिन्न प्राकृतिक विशेषताओं जैसे भूमि का टुकड़ा, मिट्टी के गुण, स्थलाकृति, प्रचलित हवाएं, स्थानीय देशज वनस्पतियों एवं जीवों की प्रणाली इत्यादि को ध्यान में रखना चाहिए।के.शु.बा.सं. कैम्पस को हरित, सुंदर एवं आकर्षक बनाने हेतु यहाँ की जलवायु में आसानी से उगने, पनपने तथा विकसित होने वाले पेड़-पौधे, झाड़ियाँ, लताएँ, मौसमी पुष्पीय एवं सजावटी पौधे, घास इत्यादि को उपयोग में लिया गया है जिनकी जलमांग कम होने के साथ ही साथ गर्मी एवं शुष्क मौसम में काफ़ी हद तक हरे-भरे बने रहकर फूल देते रहते हैं।
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Date 2024-01-17T10:22:28Z
2024-01-17T10:22:28Z
2023-06-01
 
Type Article
 
Identifier Not Available
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http://krishi.icar.gov.in/jspui/handle/123456789/81257
 
Language Hindi
 
Relation Not Available;
 
Publisher कृषि किरण (कृषि एवं शुष्क पारिस्थितिकी अनुसंधान सोसायटी)